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मिसिर की कुण्डलिया



मिसिर की कुण्डलिया


तुझको इतना मानता, मत करना इंकार।

ठुकरा देना याचना, कभी नहीं सरकार।।

कभी नहीं सरकार, बैठ मेरे सिरहाने।

प्रेम सिंधु में डूब, चलें हम आज नहाने।।

कहें मिसिर कविराय,दान में मिला है मुझको।

उद्यत है यह वीर, बहुत देने को तुझको।।


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1 Comments

Muskan khan

09-Jan-2023 06:14 PM

Nice

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